bhoot - pret hote hai ya nahi ? क्या भूत-प्रेत-आत्मा वास्तव में होते है ? क्या इनका अस्तित्व है ?
क्या भूत-प्रेत-आत्मा वास्तव में होते है ? क्या इनका अस्तित्व है ?
पुराने समय में भूत - प्रेत को काल्पनिक प्राणी समझते थे। पर आजकल के समय में इनके अस्तित्व को नहीं मानते। क्योंकि हम उन्ही चीजों पर विश्वास करते है ,जिन्हे हम महसूस करते है और देखा -छुआ जा सके।
बिता हुआ गुजरा हुआ ही भूत का अर्थ है, और गया हुआ प्रेत का।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार भूत - प्रेत को छोटा व गायब हुआ मानते है , दुनिया में दिखाई देने वाले लोगो /प्राणिओ,पेड़ -पौधों इत्यादि के जैसे इनमे भी पंचभौतिक तत्त्व होते है, अंतर यह है की मनुष्य -पशु- पक्षी इत्यादि में पृथ्वी तत्त्व की प्रधानता होती है ,जबकि भूत-प्रेतों में वायु तत्त्व की प्रधानता होने से वे हमें दिखाई नहीं देते।
वेदो - पुराणों में भी भूत -प्रेतों के बारे में जिक्र हुआ है। गरुण पुराण में तो मर जाने के बाद की कई गाथाओ का उल्लेख है. मरने के बाद जब आत्मा की मुक्ति नहीं होता तब वह आत्मा इधर-उधर भटकता रहता है , वायु तत्त्व की अधिकता के कारन ही वह गायब रहता है पर जरुरत के समय कोई भी रूप धारण कर सकता है. और अपनी इच्छा से मानव शरीर में घुस सकता है.
मनुषय की मृत्यु के बाद उसकी शांति के लिए उनका श्राद्ध - पिंड किया जाता है
बड़े बड़े वैज्ञानिक भी भूत प्रेतों के आस्तित्व को मानते है. .
इससे पता चलता है की मानव योनि की तरह प्रेत योनि का भी अस्तित्व है.
पुराने समय में भूत - प्रेत को काल्पनिक प्राणी समझते थे। पर आजकल के समय में इनके अस्तित्व को नहीं मानते। क्योंकि हम उन्ही चीजों पर विश्वास करते है ,जिन्हे हम महसूस करते है और देखा -छुआ जा सके।
बिता हुआ गुजरा हुआ ही भूत का अर्थ है, और गया हुआ प्रेत का।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार भूत - प्रेत को छोटा व गायब हुआ मानते है , दुनिया में दिखाई देने वाले लोगो /प्राणिओ,पेड़ -पौधों इत्यादि के जैसे इनमे भी पंचभौतिक तत्त्व होते है, अंतर यह है की मनुष्य -पशु- पक्षी इत्यादि में पृथ्वी तत्त्व की प्रधानता होती है ,जबकि भूत-प्रेतों में वायु तत्त्व की प्रधानता होने से वे हमें दिखाई नहीं देते।
वेदो - पुराणों में भी भूत -प्रेतों के बारे में जिक्र हुआ है। गरुण पुराण में तो मर जाने के बाद की कई गाथाओ का उल्लेख है. मरने के बाद जब आत्मा की मुक्ति नहीं होता तब वह आत्मा इधर-उधर भटकता रहता है , वायु तत्त्व की अधिकता के कारन ही वह गायब रहता है पर जरुरत के समय कोई भी रूप धारण कर सकता है. और अपनी इच्छा से मानव शरीर में घुस सकता है.
मनुषय की मृत्यु के बाद उसकी शांति के लिए उनका श्राद्ध - पिंड किया जाता है
बड़े बड़े वैज्ञानिक भी भूत प्रेतों के आस्तित्व को मानते है. .
इससे पता चलता है की मानव योनि की तरह प्रेत योनि का भी अस्तित्व है.
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